302 किलोमीटर लंबा आर्थिक गलियारा गुजरेगा मेरठ से।

दिल्ली मेरठ और गाजियाबाद के बीच देश की पहली रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) को वित्तीय प्रोत्साहन देते हुए, राज्य सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिसका उद्देश्य दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा के समय को एक घंटे से कम करना है।अगले पांच वर्षों में मेरठ परिवहन साधनों के साथ औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में भी विकसित होने जा रहा है। इसे 302 किलोमीटर में बनाया जाना है। इसकी शुरुआत कई एक्सप्रेसवे को जोड़कर की जानी है। जिनका निर्माण भी चल रहा है। इसमें दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे मुख्य प्रोजेक्ट शामिल हैं। आर्थिक गलियारे में उच्च गति के परिवहन नेटवर्क को विकसित करने की तैयारी है। इसी को देखते हुए भारतमाला परियोजना के तहत इसकी तैयारी की जा रही है। इससे सामान का आवागमन कम दाम में तेज रफ्तार के साथ हो सकेगा। वहीं देश की आर्थिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने में परिवहन का योगदान हो सकेगा।

82 किमी दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर दिल्ली को उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सबसे घनी आबादी वाले वर्गों में से एक से होकर गुजरेगा। कॉरिडोर न केवल क्षेत्र के विकास के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि बड़ी संख्या में टाउनशिप और आर्थिक गतिविधियों के केंद्रों को जोड़ने में भी मदद करेगा, जिनकी योजना खंड के साथ बनाई जा रही है।

इस परियोजना में 180 किमी प्रति घंटे की डिज़ाइन गति होगी, जो क्षेत्रीय पारगमन सेवाओं के लिए भारत में अपनी तरह का पहला रोलिंग स्टॉक होगा और इसे चरणों में लागू किया जाएगा। कॉरिडोर में 24 स्टेशन होंगे और मेरठ में स्थानीय ट्रांजिट सेवाओं की पेशकश के लिए बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जाएगा।

औद्योगिक गलियारों की महत्ता-

प्रगति के पहिये: औद्योगिक गलियारे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की एक दूसरे पर निर्भरता को मान्यता देते हैं और उद्योग और बुनियादी ढांचे का प्रभावी एकीकरण करते हैं जिससे समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास होता है।
विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा: इन गलियारों में से प्रत्येक में विनिर्माण एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि होगा और इन परियोजनाओं को समग्र जीडीपी में, विनिर्माण के हिस्से को बढ़ाने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बड़े पैमाने पर रोजगार: औद्योगिक गलियारे औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के इरादे से बनाये जा रहे है | यह विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार की नौकरियों) करने में सक्षम है।
राज्यों की आर्थिक वृद्धि: यह परियोजना रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देगा |राज्य के बाहर कार्य कर रहे युवा श्रम शक्ति (कुशल एवं अकुशल) को अपने राज्य में कार्य करने के लिए आकर्षित करेगा| इस परियोजना से राज्यों की समग्र आर्थिक वृद्धि और इसकी रोजगार सृजन को स्थायी मोड पर लाया जा सकता है।

लॉजिस्टिक लागत को कम करना: औद्योगिक गलियारा मल्टी-मोडल परिवहन सेवा उपलब्ध कराता है जो मुख्य धमनी के रूप में राज्यों से होकर गुजरेगी। इस मुख्य धमनी के दोनों किनारों पर स्थित औद्योगिक और राष्ट्रीय विनिर्माण और निवेश क्षेत्र (NMIZ) से माल को रेल और सड़क फीडर लिंक के माध्यम से औद्योगिक गलियारे में लाया जाएगा जो लास्ट मील कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इससे लॉजिस्टिक्स की लागत कम होगी और कंपनियां ‘कोर कम्पटीशन’ पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
मेक इन इंडिया को  प्रोत्साहन: मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों को देश के आगामी औद्योगिक गलियारों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आकर्षित होंगे और देश की आर्थिक वृद्धि होगी।
सामाजिक एकता में वृद्धि: औद्योगिक गलियारे लोगों को घरों के करीब रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं और उन्हें दूर-दूर के स्थानों पर नहीं जाना पड़ता है, जिससे एक संस्था के रूप में परिवार का संरक्षण होता है। अंततः इससे देश में सामाजिक एकीकरण भी बढ़ेगा।

टिप्पणी करें

Search
( उ.  प्र.)  चुनावी  सर्वेक्षण  2022
close slider