भारत का सबसे बड़ा राज्य (जनसंख्या की दृष्टि से) होने के नाते उत्तर प्रदेश विभिन्न उद्योगों का केंद्र है। यह विभिन्न गुणवत्ता वाले उत्पादों से समृद्ध है। यहाँ की अर्थव्यवस्था में उद्योगों का अहम योगदान है जिसमें लघु एवं कुटीर उद्योग शामिल हैं। लघु एवं कुटीर उद्योगों में संलग्न शिल्पकारों व श्रमिकों की आजीविका को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई सराहनीय कदम उठाए गए हैं। इसी दिशा में, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और विविधता को दृष्टिगत करते हुए पारंपरिक शिल्प एवं लघु उद्योगों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत की है, जिसका नाम है- एक जिला एक उत्पाद योजना। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों का अपना स्वयं का एक उत्पाद होगा, जो उस जिले की पहचान बनेगा।
इस योजना के अंतर्गत आने वाले उद्योगों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम श्रेणी (MSME) में रखा गया है। सरकार द्वारा इन उद्योगों को वित्तीय सहायता दी जाएगी जिससे कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अतिरिक्त एक जनपद एक उत्पाद योजना के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले के मुख्य उत्पाद की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित होगी एवं स्थानीय उत्पादकों को बहुआयामी सहयोग मिलेगा।एक जनपद एक उत्पाद योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश की विशिष्ट शिल्पकलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित करना है। ऐसी शिल्पकलाएँ व उत्पाद जिनसे स्थान विशिष्ट की पहचान होती है। उदाहरणार्थ, बनारस की रेशमी साड़ियाँ, मुरादाबाद के पीतल हस्तशिल्प, मेरठ के खेल संबंधी सामान, बाँदा के शजर पत्थरों से बनी कलाकृतियाँ आदि।
इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में कई ऐसे उत्पादों का उत्पादन होता हैं जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं, जैसे- प्राचीन एवं पौष्टिक काला नमक चावल दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूँ डंठल शिल्प, विश्वप्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का कार्य, मृत पशुओं से प्राप्त सींगों व हड्डियों से निर्मित शिल्पकार (हाथीदांत शिल्पकला के समान) आदि। इनमें से बहुत-से उत्पाद जी.आई.टैग अर्थात भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक हैं। भौगोलिक पहचान पट्टिका जो संबंधित उत्पाद को एक कानूनी अधिकार प्रदान करता हैं एवं विश्व में उसकी अद्वितीय पहचान बनाए रखने में सहायक होता है। अब तक 75 ओडीओपी उत्पादों में से 34 उत्पाद यह पहचान पा चुके हैं। कुछ उत्पाद ऐसे भी हैं जो अपनी पहचान खोते जा रहे हैं।
