अमृत योजना देश का पहला केंद्रित राष्ट्रीय जल मिशन है जिसमें 60% शहरी आबादी शामिल है। अमृत योजना का पूरा नाम अटल मिशन ऑफ रेजूवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफोर्मेशन (अमृत) है। इस योजना को 25 जून, 2015 को 500 शहरों में शुरू किया गया था। 1 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहर इस मिशन के अंतर्गत आते हैं। शहरों में पाइप से जलापूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन इस मिशन का प्रमुख ध्येय है।
जल निकासी, गैर मोटर चालित शहरी परिवहन, ग्रीन स्पेस और पार्क बनाना इस मिशन के छोटे घटक हैं। कुल मिलाकर मिशन का बजट ₹1 लाख करोड़ है, जिसमें ₹50,000 करोड़ का हिस्सा केंद्र सरकार का है। अब तक ₹52,477 करोड़ (66%) का काम किया जा चुका है।
इस मिशन के तहत अब तक 105 लाख घरेलू नल कनेक्शन और 78 लाख सीवर/सेपेटेज कनेक्शन दिए गए हैं। 1,240 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए हैं, जिनमें से 907 एमएलडी को रिसाइकिल कर उपयोग में लाया जा रहा है। एक अन्य 4,800 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का भी विकास किया जा रहा है। 1,840 जल भराव स्थलों को समाप्त किया गया है और 1,850 पार्क और हरे भरे स्थान (3,770 एकड़) जोड़े गए हैं। 800 पार्कों (1,600 एकड़) का कार्य प्रगति पर है। गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन क्षेत्र में 180 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। 11,385 पानी पंपों की पहचान की गई है, जिनमें से 667 पंपों को बदल दिया गया है।
अमृत योजना एक समग्र शहरी सुधार एजेंडा है जिसमे ई-गवर्नेंस, एनर्जी ऑडिट, यूएलबी की क्रेडिट रेटिंग, कुशल टाउन प्लानिंग, ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन सिस्टम पर बल दिया गया है। फंड जुटाने का कार्य यूएलबी के फ्लोटिंग म्यूनिसिपल बॉन्ड्स द्वारा किया जा रहा है।
ऊर्जा ऑडिट के तहत 101 लाख स्ट्रीट लाइटों में से 88 को ऊर्जा कुशल एलईडी लाइटों से बदल दिया गया है। इससे 193 करोड़ यूनिट की ऊर्जा बचत और CO2 उत्सर्जन में प्रति वर्ष 15.4 लाख टन की कमी आई है। 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 396 शहरों में पानी के पंपों का एनर्जी ऑडिट पूरा कर लिया गया है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) के अनुसार अमृत योजना के तहत विभिन्न पहलों के माध्यम से 84.6 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट कम हुआ है।
485 शहरों के लिए लागु क्रेडिट रेटिंग का काम 470 शहरों में पूरा किया जा चुका है। 164 शहरों को निवेश योग्य ग्रेड रेटिंग (IGR) प्राप्त हुई है, जिसमें से 36 शहरों को A या उससे ऊपर की रेटिंग मिली है।
452 अमृत शहरों सहित 2,465 शहरों में आंतरिक/बाहरी एजेंसियों के साथ सहज एकीकरण के साथ ऑनलाइन भवन अनुमति प्रणाली (ओबीपीएस) को चालू कर दिया गया है। निर्माण परमिट में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) में भारत की रैंक 181 से बढ़कर 27 हो गई है।
भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के आधार पर अमृत शहरों के मास्टर प्लान 515 करोड़ रुपये की लागत वाली उप-योजना के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (NRSC), हैदराबाद को उपग्रह तस्वीरें प्रदान करने और शहर के नक्शों के डिजिटलीकरण के लिए अनुबंधित किया गया है। कुशल भूमि उपयोग सुनिश्चित करने के लिए, 25 शहरों में ₹50 करोड़ की लागत से स्थानीय क्षेत्र योजना और नगर नियोजन योजना (एलएपी/टीपीएस) प्रगति पर हैं ।