लोक पहल और हम भारत के लोग
आज़ादी के 75 वर्ष के अमृत महोत्सव का सार वास्तव में "हम भारत के लोग" से ''हम गाँव के लोग'' की पुर्नस्थापना से है जो भारत का "लोक बल" है। सर्वाधिक "जनबल" के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश के लिए उनकी भागीदारी अहम वास्तव में उत्तर प्रदेश के अहम रखती है। "लोक संसाधन" जिन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोगों में राज्य के प्रति आस्था अपरिहार्य हो जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार का अंतिम लक्ष्य लोक सहभागिता से लोक हित की रक्षा करना है इसलिए हमें "अपनी बात" और "अपने उत्पाद'' की ब्रांडिंग करनी होगी जैसा कि ''भारतीय योग'' और ''भारतीय त्यहारों'' को एक आदर्श सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए जो भारतीय परंपराओं व अनुशासन के असल राजदूत हैं। गांव आधारित आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था में काम करने वाले नाई को नाई ठाकुर क्यों कहा जाता था? क्योंकि उसके पास बाल काटने के अलावा किसी भी रीति रिवाज में उसकी शामिल उपस्थिति भी शुभ मानी जाती थी। हमें तिजारत के नियमों में उलझने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। जबकि मेट्रो कल्चर ने पकौडे़ और बर्गर की समानता को तिजारत के नियमों में इतना उलझा दिया कि दोनों अलग-अलग वर्ग का प्रतिनिधित्व करने लगे और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पर खड़ी सरकार का केवल उपहास करते नज़र आते हैं? जो सड़क गांव से शहर आई वह वापस शहर से गांव न जा सकी। अपना गांव अपना मुकाम के आदर्श एवं दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय भारत को आगे बढ़ायें। मौजूदा हालात पर 'मिजाज़' की पंक्तियां हैं ... कुछ जवाबों के घेरे में तड़पता, वो परीशां खुद पर रोता हुआ सा, एक सवाल रह गया सफ़र-ए-तरक्की पर जाना था उसको मगर सरकारी इमारत सा मेरा गांव बदहाल रह गया डॉ.हर्ष मणि सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर अर्थशास्त्र ईश्वर शरण कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज

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( उ.  प्र.)  चुनावी  सर्वेक्षण  2022
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