वक्तागण एवं विचार माला
डॉ आलोक चौहान (निदेशक मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी)- आलोक जी ने लोक पहल का उद्देश्य लोगो को बड़ी ही सरलता से समझाया कि लोक पहल का कार्य है जनता के संदेश सरकार तक और सरकार का कार्य एवं संदेश जनता तक पहुंचे।
डॉ संतोष कुमार सिंह (वरिष्ट वैज्ञानिक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)- संतोष जी ने इस बात पर रोशनी डाली कि हम जिस देश मे रहते हैं वो अपनी आबादी के लिए सारे विश्व मे जाना जाता है, लेकिन हमें अपनी बढ़ती आबादी को सीमा मे रखना होगा। संतोष जी ने कुपोषण के दुष्परिणाम को बताया एवं कुपोषण के रोकथाम पर चर्चा की।
डॉ कमल सक्सेना (पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश)- कमल जी ने कहा कि सिपाही और पुलिस अफसर अपने काम से थोड़ा वक़्त निकाल कर अपने आस पास के इलाक़ो में लोगों को कुपोषण के बारे में बताएं और समझाएं। इस प्रकार हम ज्यादा लोगो को जागरूक कर पाएंगे। उन्होंने बताया की रेल्वे के पास बने हुए स्लम्स में रह रहे बच्चे सबसे ज़्यादा कुपोषण के शिकार होते हैं।
डॉ.बी.एल. आर्य (पूर्व वरिष्ठ कुलसचिव)- आर्य जी ने कहा की जनसंख्या, बालविकास, बाल स्वस्थय तथा कुपोषण आपस में जुड़ी हुई समस्याएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपने हेल्थकेयर सिस्टम में भी सुधार लाने की ज़रूरत है।
डॉ अनुराग अग्रवाल- अनुराग जी ने विषय वस्तु का परिचय देते हुए कहा कि देश का जल, भूमि, और तकनिकी विकास;ये सब देश की वास्तविक संपत्ति नहीं हैं। देश की वास्तविक संपत्ति होती है उसके बच्चे, उसकी नयी पीढ़ी।
कार्यक्रम द्वारा अनुशंसित विचार/ कार्ययोजना/प्रक्रिया
कुपोषण, बालविकास, बालस्वास्थ्य, और जनसंख्या आपस में जुड़े हुए विषय हैं। कुपोषण अधिकतर बच्चों और महिलाओं में पाया जाता है। खाने में सही मात्रा में प्रोटीन कैल्शियम ना मिलने के कारण 6 महीने से 3 साल तक के बच्चे रोग ग्रस्त हो जाते हैं। इसी कारण बच्चों और महिलाओं का विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता है। विकास सही तरीके से ना होने के कारण बच्चो में स्वास्थ से सम्बंधित अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। बढ़ती जनसंख्या की वजह से हमारे संसाधन कम पड़ जाते हैं, जिसका प्रभाव जीवन स्तर पर पड़ता है।