उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। यहां की लगभग 80 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास करती है। जीविकोपार्जन के साधनों के अभाव में यहाँ के श्रमिक वर्ग को रोजगार पाने के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है तथा उन्हें अपना जीवनयापन करने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लॉकडाउन के समय जब प्रवासी श्रमिक गृह राज्य में विभिन्न राज्यों से वापस लौटकर आए तब उनके समक्ष जीविका के साधन जुटाने की समस्या खड़ी हुई। इस समस्या का निवारण करने हेतु उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा मुख्यमंत्री प्रवासी श्रमिक उद्यमिता विकास योजना का शुभारंभ किया गया।
इस योजना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 5वें बजट में 100 करोड़ की राशि निर्धारित की गयी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराना और ऐसे श्रमिकों को स्वरोजगार से जोड़ना, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपना व्यवसाय स्थापित नहीं कर पाते हैं। इस योजना के माध्यम से ग्रामीँण क्षेत्रों में रहने वाले प्रवासी श्रमिक अपने हुनर के अनुसार अपने क्षेत्र में अपना व्यवसाय स्थापित कर सकेंगे। इस तरह श्रमिकों को अपने राज्य (गाँव व शहर) में ही रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे और उन्हें किसी अन्य राज्य में जाकर रोजगार प्राप्त करने की आवश्यकता नही पड़ेगी। साथ ही स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा व श्रमिकों की आय में बढ़ोत्तरी होगी जिसके फलस्वरूप उनकी स्थिति में सुधार होगा।
प्रवासी श्रमिक उद्यमिता विकास योजना के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों (प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, दर्जी, ड्राइवर, रंगाई, बुनाई, आदि) को अपना खुद का व्यवसाय शुरु करने के लिए 10 लाख रूपए तक की ऋण सहायता धनराशि प्रदान की जाएगी। महिला श्रमिकों को ऋण राशि बिना ब्याज राशि के प्रदान की जाएगी एवं पुरुष प्रवासी श्रमिकों को 4 प्रतिशत की दर से ऋण सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इस योजना के माध्यम से लगभग सवा करोड़ से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्राप्त होगा और श्रमिक प्रवासी मजदूर उद्योगों में समायोजन और स्वरोजगार प्राप्त करेंगे। इस तरह, प्रवासी श्रमिक उद्यमिता विकास योजना से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा व श्रमिकों की आय में बढ़ोत्तरी होगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
मुख्यमंत्री प्रवासी श्रमिक उद्यमिता विकास योजना के लिए राज्य के प्रवासी श्रमिक वर्ग ही आवेदन के पात्र माने जाएँगे। आवेदक को उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक के पास निम्न दस्तावेज होने आवश्यक हैं- आवेदक का श्रमिक कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता संबंधी समस्त विवरण, मोबाइल नंबर, स्वरोजगार शुरू करने के लिए एफिडेविट आदि।