आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी । राजनैतिक लोग, विश्लेषक, पत्रकार, अर्थशास्त्री और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग अलग अलग तरह से या कह सकते हैं कि अपनी अपनी तरह से इसकी विवेचना करेंगे ।
मेरी राय में मोदी जी का यह कदम स्वागत योग्य और अत्यंत प्रशंसनीय है । इस निर्णय ने उनको एक कुशल राजनीतिज्ञ से आगे एक अति संवेदनशील राजनेता (statesman) और लोकतंत्र के चितेरे के रूप में प्रतिष्ठित किया है ।
प्रश्न यह नहीं है कि ये कृषि कानून किसके लाभ या बेहतरी के लिए थे या नहीं थे बल्कि सत्य तो ये है कि लोकतंत्र में लोकमत का स्थान सर्वोपरि होना चाहिए और पिछले एक वर्ष से जिस प्रकार अलग अलग किसान संगठन इनका विरोध कर रहे थे और किसान भी इसको लेकर सशंकित थे, इस पूरे प्रकरण का इस से बेहतर समाधान होना कठिन था ।
प्रधानमंत्री ने अपने इस निर्णय से स्पष्ट कर दिया कि उनका, सरकार का या भाजपा का कोई इतर स्वार्थ इन बिलों के पीछे नही था ।
इन कानूनों के पीछे नीयत पवित्र थी और चूंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के प्रमुख होने के नाते लोकमत का सम्मान करना और देश के अन्नदाता को यह भरोसा दिलाना की सरकार कोई निर्णय उन पर थोपना नहीं चाहती, आवश्यक था और वक्त की मांग थी ।
इस अति संवेदनशील मुद्दे पर तर्कसंगत और लोकप्रिय निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी साधुवाद और बहुत आभार

आलोक चौहान
मीडिया प्रभारी - लोक पहल

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