“एक जनपद-एक उत्पाद”(ODOP) कार्यक्रम और उत्तर प्रदेश की पहल

डॉ हर्ष मणि सिंह
अर्थशास्त्री

उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का चौथा बड़ा राज्य है, जो देश के कुल क्षेत्रफल के 7.3% (2,40,928 वर्ग किमी) भूभाग पर स्थित है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 19.98 करोड़ जनसंख्या निवास करती है जो देश की कुल आबादी का 16.5% है । अर्थव्यवस्था के हिसाब से राज्य का देश में तीसरा स्थान है। वर्ष 2015-16 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 11,45,234 करोड़ रुपयों का था जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का 8.4% है । भारत के 6 लाख गांवों में से सर्वाधिक 1 लाख गांव उत्तर प्रदेश से ही आते हैं। इस तरह भारत के सबसे बड़े प्रदेश की विविधिता अतुल्य है। यह विविधिता ही वास्तव में ODOP और उत्तर प्रदेश के लिये विकास का इंजन साबित हो सकता है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का नया अध्याय भी है।
एम.एस.एम.ई. (सूक्ष्म , लघु , मध्यम उद्योग) क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था में विशेष भूमिका अदा करता है तथा पूंजी निवेश, उत्पादन एवं रोजगार में सार्थक योगदान देता है । लगभग 46 लाख (देश की 8%) एम.एस.एम.ई. इकाइयों के साथ उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है । यह क्षेत्र, न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि संपूर्ण देश में, कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है । उत्तर प्रदेश हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य, इंजीनियरिंग सामान, कालीन, रेडीमेड गारमेंट्स एवं चमड़ा उत्पादों के क्षेत्र में देश में एक अग्रणी प्रदेश रहा है ।
उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात का 44% है । इसी तर्ज पर कालीनों के 39% व चमड़ा उत्पादों के 26% कुल निर्यात के साथ प्रदेश का देश के सकल निर्यात में अर्थपूर्ण योगदान है । उत्तर प्रदेश भारत के कुल निर्यात का 4.73% भाग वहन करता है । प्रदेश के अधिकतर जनपद एक अथवा एक से अधिक विशिष्ट उत्पाद तैयार करते हैं । ये चाहे हस्तशिल्प हों, हैंडलूम हों, कृषि/बागवानी उत्पाद हों, या राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का कोई लघु उद्यम हों। उदाहरणार्थ ; मैंनपुरी की तारकशी ,बनारस की सिल्क साड़ियाँ, मुरादाबाद के पीतल हस्तशिल्प, पीलीभीत की बाँसुरी, बांदा की शज़र पत्थरों की बनी कलाकृतियाँ और सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल आदि किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं । इन क्षेत्रों में कार्यरत शिल्पकारों/श्रमिकों की आजीविका सुधार और इन उत्पादों के प्रोत्साहन व प्रसार की अपार संभावनाएँ हैं। इन उत्पादों के कुशल विपणन द्वारा इस क्षेत्र में रोजगार सृजन के नए आयाम जोड़े जा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी “एक जनपद – एक उत्पाद” योजना का उद्देश्य इन विशिष्ट शिल्प कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित करना है। उत्तर प्रदेश में अनेक ऐसे उत्पाद बनते हैं जो देश में अन्यत्र कहीं उपलब्ध नहीं हैं। जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक काला नमक चावल, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूँ डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर ज़री-जरदोज़ी का काम, मृत पशु के सींगों व हड्डियों का शिल्प कार्य जो हूबहु हाथीदांत शिल्पकला जैसा दीखता है, आदि। इनमें से बहुत से उत्पाद जी.आई. टैग अर्थात भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक हैं। भौगोलिक पहचान पट्टिका जो कि सम्बंधित उत्पाद को एक क़ानूनी अधिकार प्रदान करता है एवं विश्व में उसकी अद्वितीय पहचान बनाये रखने में सहायक होता है। अब तक 75 ODOP उत्पादों में से 34 उत्पाद यह पहचान पट्टिका पा चुके हैं। ये वे उत्पाद हैं जिनकी पहचान स्थान विशेष से होती है । इनमें से अनेक ऐसे उत्पाद हैं जो खुले बाजार की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के कारण अपनी पहचान खो रहे थे। इन उत्पादों को प्रोत्साहन तथा प्रसार रूपी संजीवनी द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है। जनपद विशेष से संबंधित उद्योग वैसे तो सामान्य प्रतीत होते हैं परंतु उनके उत्पाद उस क्षेत्र की विविधता एवं विलक्षणता को दर्शाते हैं। हींग, देशी घी, काँच के आकर्षक उत्पाद, चादरें, गुड़, चमड़े से बनी वस्तुएं – उत्तर प्रदेश के जनपद इन वस्तुओं के उत्पादन में विशेषज्ञता रखते हैं। ये भी संभव है कि आप उत्तर प्रदेश में निर्मित किसी उत्पाद का पहले से प्रयोग कर रहे हों और आपको इसकी जानकारी भी न हो। यहाँ लघु एवं मध्यम दर्जे की अनेक ऐसी औद्योगिक इकाइयाँ हैं जिन्हें उन्नत मशीनरी, आधुनिकीकरण एवं संवर्धन की आवश्यकता है। प्रदेश में जन विविधता , जलवायु विविधता, आस्थाओं और संस्कृतियों की विविधता की तरह ही उत्पादों एवं शिल्प कलाओं में भी एक मोहक विविधता है। इस विविधता एवं विशिष्टता का बाजार की गला काट प्रतिस्पर्धा में कहीं लोप न हो जाए, इसी भावना से “एक जनपद-एक उत्पाद” योजना का उद्भव हुआ है।
आइये, 75 जनपदों से होकर गुजरने वाली इस अन्वेषण यात्रा में शामिल होकर ओडीओपी उत्पादों की, और उत्पादों के क्षेत्र विशेष की, विशिष्टता का सोपान करें। निश्चित ही इनमें से कुछ तो पहले से ही आपके घरों में प्रयोग किए जा रहे होंगे। और जो प्रयोग में नहीं लाये जा रहे हैं, आप उन्हें इतना अनुकूल पाएंगे वे शीघ्र ही आपके घर में विद्यमान होंगे, हमें इसमें कोई संदेह नहीं है। एक नए उत्तर प्रदेश की सशक्त ग्रामीण लोक व्यवस्था में अपना बहुमूल्य योगदान दीजिए। ओडीओपी उत्पादों को अपनाइये।
जैसा कि मिज़ाज ने कहा है: अर्थशास्त्र क्या बेचा जाये बताता है, कैसे बेचा जाये नहीं बताता। क्या और कैसे, ये दोनों बातें आपके समक्ष प्रस्तुत की गयीं हैं। हमें पूर्ण विश्वास है की आपका फैसला ओडीओपी के पक्ष में होगा।

 

2 thoughts on ““एक जनपद-एक उत्पाद”(ODOP) कार्यक्रम और उत्तर प्रदेश की पहल

  • Very good initiative by the UP Government. It is definitely going to boost the economy of the state and provide employment to numerous people.

    This scheme will surely provide greater exposure to the local artisans and their skills thereby encourage them to do their best.

    Lastly thanks a lot to sir who is providing such great information.

  • ODOP programme a very good initiative by the government of UP . Infact this programme reminds me of the Swadeshi and Boycott movement .
    The chief aim of the Swadeshi and Boycott movement was to revive the popularity of the indigenous goods, to Boycott foreign goods, to promote Indian industries and to provide employment to craftsmen .
    Sameway this ODOP programme will also encourage local industries, jobs for unemployed craftsmen and will create a spirit of enthusiasm among the people benefitting from this programme .
    Overall on a broader picture this programme will definitely boost the economy of the state and it will provide a great exposure to local artisans.

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