ऊर्जा गंगा परियोजना अत्यंत महत्त्वाकांक्षी गैस पाइपलाइन परियोजना है जिसका लक्ष्य देश के पूर्वी भाग के उद्योग एवं घरेलु उपयोग के लिए ‘पाइप्ड नेचुरल गैस’ (PNG), और वाहनों के लिये CNG उपलब्ध कराना है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर, 2016 को वाराणसी में इस परियोजना की नींव रखी थी।
ऊर्जा गंगा परियोजना की प्रमुख विशेषताएँः
इस परियोजना के तहत 2018 तक उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर से पश्चिम बंगाल के हल्दिया को जोड़ने वाली लगभग 2500 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन बिछाई गई है। गैस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL) द्वारा लागू की जा रही इस योजना में पूर्वी भारत के पाँच राज्य (उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा) शामिल किये गए हैं।
ऊर्जा गंगा परियोजना का महत्त्वः
इस परियोजना से भारत के पूर्वी क्षेत्र का विकास तीव्र गति से होगा। पाइपलाइन से गैस प्राप्त कर 5 राज्यों के 25 औ़द्योगिक संकुलों को विकसित किया जायेगा। पूर्वी भारत के सात प्रमुख शहर वाराणसी, जमशेदपुर, पटना, रांची, कोलकाता, भुवनेश्वर एवं कटक इस नेटवर्क के लाभार्थी होंगे। वाराणसी के लगभग 50,000 घरों और 20,000 वाहनों को स्वच्छ और सस्ता ईंधन प्राप्त हो सकेगा जो पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होगा। गैस आपूर्ति से गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) , बरौनी (बिहार), सिंदरी (झारखंड), और दुर्गापुर (पं. बंगाल) के उर्वरक संयत्रों का पुनरुद्धार भी किया जा सकेगा। इससे वाराणसी के घाटों एवं श्मशान स्थलों पर प्राकृतिक गैस आधारित शवदाह गृह स्थापित हो सकेंगे । इस प्रकार, ऊर्जा गंगा परियोजना न केवल पूर्वी भारत के आर्थिक विकास में सहायक होगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।