वक्तागण एवं विचार माला
डॉ आलोक चौहान (निदेशक, मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी)- आलोक जी ने जनसंख्या वृद्धि को समाज में नैतिक शिक्षा के आभाव का परिणाम बताते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों की भेदभाव पूर्ण नीतियों ने धर्म विशेष के लोगो को भारत में घुसपैठ के लिए प्रेरित किया जो आज भारत की जनसंख्या वृद्धि और आतंरिक सुरक्षा का खतरा बन गया है।
डॉ संतोष कुमार सिंह (वरिष्ट वैज्ञानिक,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)- संतोष जी ने बताया कि भारत की जनसंख्या कौशल विहीन होने के कारण बोझ बन गई है। जिसका मूल कारण स्वतंत्र भारत के अब तक के नीति नियन्ताओं की अदूरदर्शी नीतियां हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस समस्या के समाधान के लिए वरदान साबित होगी।
प्रो० हरिकेश सिंह (शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, पूर्व कुलपति जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा)- कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हरिकेश जी ने कहा कि जब जनसंख्या जन समुदाय के लिए संकट पूर्ण चुनौती बन जाए तो इसको कहीं न कहीं नियंत्रित करने के लिए सोचना पड़ता है। जनसंख्या के समानुपात के साथ उपलब्ध संसाधनों पर भी विचार होना चाहिए।
डॉ विजय कुमार सिंह (लोक पहल अभियान के वरिष्ठ चिंतक)- विजय जी ने कहा कि कभी देश अपनी जनसंख्या को जनशक्ति के रूप में देखकर गर्व करता था। मगर आज यह जनशक्ति अभिशाप बन गयी है। इस विडम्बना का मूल कारण घुसपैठ और अशिक्षा है।
पद्म श्री डॉ रजनीकांत (कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि)- रजनीकांत जी ने बताया कि लंबे समय से एक वर्ग विशेष इस विकास का दोहन करने के साथ-साथ एक बड़े जनसंख्या विस्फोट को भी निमंत्रण दे रहा है, जो अत्यन्त घातक है। यह शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य को भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है जिसके कारण विकास प्रवाह बाधित हो रहा है।
कार्यक्रम द्वारा अनुशंसित विचार/कार्ययोजना/प्रक्रिया
सबसे बड़ी जरूरत परिवार के मुखिया को शिक्षित कर उसे परिवार नियंत्रण के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस समस्या के लिए वरदान साबित होगी। हमें इसके लिए दीर्घकालीन जागरूकता की योजनाऐं और जाति धर्म से ऊपर उठ कर समान नियम बना कर इसे लागु करना होगा। संसाधन की उपलब्धता एवं उपयोगिता में सामंजस्य होना चाहिए। वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार ने पारिवारिक स्तर पर जो नीतियां बनाई हैं वे दूरदर्शिता पूर्ण एवं स्वीकार्य हैं।