बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों में 35 पशु आश्रय गृहों का निर्माण।
बेसहारा/निराश्रित गोवंशीय पशुओं के भरण-पोषण हेतु कार्पस फण्ड सृजित।
4,503 अस्थायी गो आश्रय स्थल, 177 कान्हा गोपाला, 408 कांजी हाउस व 189 वृहद गोवंश संरक्षण केन्द्रों में कुल 6.08 लाख गोवंश संरक्षित।
दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पाने वाले दुग्ध उत्पादक को 2 लाख रु.,द्वितीय स्थान पाने वाले को 1.50 लाख रु. एवं शील्ड देने का प्रावधान किया गया।
देशी नस्ल के गोवंश संवर्धन लिए दुधारू गायों की दुग्ध उत्पादन क्षमता की प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। इससे देशी नस्ल के गाय / बछड़े पालने वाले किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा।
गाय गोबर से उपले, खाद या बायोगैस बनाने के काम के अलावा यह अब कमाई का भी बड़ा जरिया बन गया है। प्रयागराज के बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान में गोबर से बने उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण की व्यवस्था हुई। कई जेलों में कैदी गाय गोबर की लकड़ी यानि गोकाष्ठ, गमले, अगरबत्ती, मोमबत्ती और कूड़ादान बनाकर रोजगार का सृजन कर रहे हैं।
मुर्गी / मछली / झींगा पालन
मत्स्य (मछली) जलाशयों हेतु न्यूनतम ठेका अवधि 3 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की गयी।
29.65 लाख मै० टन मत्स्य उत्पादन ।
मथुरा अलीगढ़ क्षेत्र में खारे पानी के कारण अनुपयोगी हुई भूमि को उपयोगी बनाने के लिए श्रिम्प (खारे जल की झींगा प्रजाति) फार्मिंग को प्रोत्साहन।
कुक्कुट इकाइयों से अब तक 1,403.81 करोड़ अण्डों का उत्पादन।
बैस्ट स्टेट ऑफ इन्लैण्ड फिशरीज़ का प्रथम पुरस्कार।
1191.27 करोड़ मत्स्य बीज उत्पादन।
बुन्देलखण्ड के 07 जनपदोंमें एक-एक गोवंश वन्य विहार की स्थापना।