अमृत योजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के शहरों में पेयजल, सीवरेज़ एवं नगरीय यातायात के कार्य किये जा रहे हैं। गंगा नदी की निर्मलता एवं अविरलता के लिए ‘नमामि गंगे परियोजना’ के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में 22 परियोजनाएं पूर्ण, 24 परियोजनाओंपर तेजी से कार्य चल रहा है।
46 वर्षों से लंबित बाण सागर परियोजना सहित पहाड़ी बांध, बण्डई बांध, जमरार बांध, मौदहा बांध, पहुँज बांध, गुण्टा बांध, रसिन बांध परियोजनाएं एवं जाखलौन पम्प नहर प्रणाली तथा सोलर पावर प्लांट की पुनर्स्थापना सहित 13 परियोजनाएं पूर्ण।
विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने से 3.77 लाख हे0 सिंचन क्षमता में वृद्धि। 12 अन्य सिंचाई परियोजनाएं पूर्णता की ओर।
हर घर नल योजना में प्रदेश की 30 हजार ग्राम पंचायतों में शुद्ध पाइप पेयजल पहुंचा।
अमृत योजना से 60 शहरों में पेयजल, नाली व सीवर आदि का कार्य।
140 एम.एल.डी.(मिलियन लीटर्स डेली)क्षमता का एस.टी.पी.(सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) दीनापुर, वाराणसी में संचालित हुआ। इससे विद्युत उत्पादन प्रारम्भ।
बाढ़ सुरक्षा की 688 परियोजनाएं पूर्ण।
शासकीय भवनों पर रुफ टॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना।
‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ माइक्रो इरिगेशन के अन्तर्गत स्प्रिंकलर सिंचाई से जल संचयन एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन।
बुन्देलखण्ड में 19,428 खेत-तालाबों का निर्माण।
वर्ष 2021-22 में 230 बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएं पूर्ण करने का लक्ष्य।
4,24,627 निःशुल्क बोरिंग, 4,032 गहरी बोरिंग,13,299 मध्यम गहरी बोरिंग से 7 लाख 21 हजार 258 हे0 क्षेत्र की सिंचन क्षमता में वृद्धि
पी.एम. कुसुम योजना में 20,177 सोलर पम्प स्थापित।
2000 नवीन राजकीय नलकूपों के निर्माण से 98,000 हे0 सिंचन क्षमता का सृजन।
787 खराब राजकीय नलकूपों का पुनर्निर्माण।
जलजीवन मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत 487 पाइप योजनाओं से पेयजल की आपूर्ति।
प्रदेश की 25 नदियों का पुनरुद्धार। अब तक 76 हजार 375 तालाबों का निर्माण।
नमामि गंगे: 22 परियोजनाएं पूर्ण एवं 24 परियोजनाएं प्रगति पर।
बिजनौर से बलिया तक 155 नालों का शोधन।
स्टेट ग्राउंड वॉटर इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर एवं भू-जल भवन की स्थापना।
1 लाख 49 हजार 802 कि.मी. नहरों की सिल्ट सफाई।
बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में `हर घर नल योजना’ से पाइप लाइन से हर घर में स्वत्छ पेय जल उपलब्ध। क्षेत्र के लोगों को डायरिया, पीलिया, हैजा और पेट से संबंधित बीमारी से निजात मिलेगी
केन-बेतवा लिंक परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई की जद में आई। 62 लाख लोगों को पेय जल मिला।
बहराइच से गोरखपुर को जोड़ने वाली सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना से नौ जनपदों के 30 लाख किसानों की 15 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। पिछले 40 वर्षों से रुकी यह परियोजना पिछले पौने पांच वर्षों में पूर्ण हुई।
भूगर्भ जल की स्थिति सामान्य बनाए रखने हेतु काशी के कुंडो-तालाबों का हुआ जीर्णोंद्धार।
यमुना शुद्धीकरण का बड़ा कार्य प्रगति पर। 460.45 करोड़ की लागत से यमुना में गिरने वाले 20 नालों को टैप किया गया है। सीवर ट्रीटमेंट की नई विधियों से नालों का गंदा पानी शुद्ध होने के बाद नदियों में छोड़ा जाता है। इस कारण नदियों में प्रदूषण की मात्रा कम हुई है। नदियों में मशीनों और नांवों से गाद की सफाई का कार्य भी प्रगति पर।