उत्तर प्रदेश : कल और आज

उत्तर प्रदेश जनसंख्या में विश्व के चौथे सबसे बड़े राष्ट्र इण्डोनेशिया के बराबर है। इतने बड़े राज्य को अतीत की स्याह परछाई से मुक्त कराकर सामाजिक सुरक्षा, शांति और सौहार्द के साथ विकास पथ पर अग्रसर कराना आसान नहीं था। परन्तु नेतृत्व की साफ नीयत, स्पष्ट नीति एवं दृढ़ निश्चय से बड़ी से बड़ी बाधाएं बौनी होती गयीं।

19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार गठन के दिन से ही चतुर्दिक प्रगति की जो यात्रा प्रारंभ हुई, उससे उत्तर प्रदेश को वैश्विक पहचान (Global Image) मिली।

आजादी के बाद से ही उत्तर प्रदेश कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में देश के प्रमुख राज्यों में शुमार होता था। कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर आदि नगर मिलों और कारखानों के लिए जाने जाते थे। हस्तशिल्प उद्योग भी फल-फूल रहे थे। इससे लाखों परिवारों को रोजगार मिलता था। मगर उच्च नैतिक मूल्यों में रचे-बसे इस प्रदेश को जैसे किसी की नजर लग गयी। उत्तर प्रदेश विकास की पटरी से उतरने लगा। इसका दुष्प्रभाव यह रहा कि बड़े व्यापारी, उद्योगपति एवं प्रतिभा संपन्न लोग प्रदेश से पलायन करने लगे क्योंकि ‘बीमारु’ प्रदेश में उन्हें अपना भविष्य नहीं दिख रहा था। अपहरण उद्योग, माफियाराज, महिलाओं-बालिकाओं के प्रति बढ़ते अपराध, साम्प्रदायिक दंगों तथा बेरोजगारी की वजह से प्रदेश से व्यापारिओं/उद्योगपतियों का पलायन होने लगा। औद्योगिक शहरों का उजड़ना मानो उत्तर प्रदेश की नियति बन गयी थी।

कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाना, समाज को अपराधीकरण और माफियाराज से मुक्त कराकर खस्ताहाल उत्तर प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना एक बड़ी चुनौती थी।

योगी आदित्यनाथ के शपथ लेते ही माताओं-बहनों का अनादर करने वालों पर पुलिस का शिकंजा कसने लगा। अवैध बूचड़खानों पर ताले लगने लगे। अपराधी स्वयं चल कर थानों में आत्मसमर्पण करने लगे। योगी सरकार के कानून एवं व्यवस्था का डंका बजते ही पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दशकों से फला-फूला माफिया और गुण्डा राज भूमिगत हो गया। ऐसे माफिया डॉन, जो पिछली सरकारों में फलफूल रहे थे, अब सलाखों के पीछे हैं अथवा प्रदेश के बाहर छिपे बैठे हैं। सी. ए. ए. कानून के विरोध में राज्य व्यवस्था छिन्न-भिन्न करने वाले तत्वों से योगी सरकार तत्परता से निपटी। निजी संपत्ति और राजकीय संपत्ति को नष्ट करने वालों को चिन्हित कर उनसे हुए नुकसान की भरपाई करायी। इससे उप्र में पुनः कानून का राज्य स्थापित हुआ है।

योगी सरकार ने दूरदर्शी योजनाएं तैयार कर उन्हें धरातल पर उतारा। इससे उत्तर प्रदेश कुचक्रों के जाल से उबरकर विकास की ओर अग्रसर हुआ। फलतः 54 माह में राज्य के माथे से बीमारू का धब्बा हट गया और राज्य समृद्धिशील हो गया। खेती-किसानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, इंफ्रास्ट्रक्चर; हर क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित हुए। प्रदेश सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में छोटे किसानों को बैंकों के कर्ज-भार से मुक्ति दिलाने का निर्णय लेकर यह जता दिया कि वह किसानों की सबसे बड़ी हितैषी है।

योगी सरकार ने एमएसपी में दोगुनी तक वृद्धि करते हुए धान, गेहूं, तिलहन की रिकॉर्ड सरकारी खरीद के साथ किसानों के खातों में रूपये 79,000 करोड़ की धनराशि हस्तांतरित की। गन्ना किसानों को 1.44 लाख करोड़ रूपये का भुगतान किया। साथ ही खाद एवं बीज पर सब्सिडी देकर कृषि लागत कम करके खाद्यान्न उत्पादकता बढ़ायी। इससे गन्ना किसान हों अथवा अन्य फसलों के किसान, सभी में संतुष्टि का भाव है और वे रिकार्ड अन्न और गन्ना उत्पादन कर स्वयं भी खुशहाल हैं और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं।

प्रदेश में बेरोजगारी बड़ी समस्या थी। इससे निजात पाने के लिए साढ़े चार सालों में साढ़े चार लाख लोगों को पारदर्शी ढंग से सरकारी नौकरियां दी गयीं। डेढ़ लाख युवाओं को शिक्षा विभाग, इतने ही युवाओं को पुलिस विभाग और इसी संख्या में युवाओं को अन्य विभागों में नौकरी मिली, वह भी बिना भाई-भतीजावाद, बिना घूसखोरी, बिना मुकदमेबाजी के। एमएसएमई के जरिये 2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा गया। मनरेगा और अन्य रोजगारपरक कार्यक्रमों से लाखों लोगों के लिए रोजी रोटी का साधन जुटाया। घरेलू हस्तशिल्प उद्योग के लिए लायी गयी एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना अब तक 25 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देकर सफलता के नये प्रतिमान गढ़ रही है।

उत्तर प्रदेश में कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर औद्योगीकरण की राह में सबसे बड़ी बाधा थी। योगी सरकार ने अधोसंरचना के तीन क्षेत्रों- सड़क, हवाई संपर्क और मेट्रो रेल ट्रांसपोर्ट के विकास पर फोकस किया। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण लगभग पूरा हो रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण हो चुका है। वहीं मेरठ से प्रयागराज तक के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे के शिलान्यास की घड़ी भी नजदीक है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य अन्तिम चरण में तथा बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे के लिए भूमिअधिग्रहण का कार्य प्रगति पर है।

प्रदेश में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय एयर कनेक्टिविटी की दिशा में भी अभूतपूर्व कार्य हुआ है। उत्तर प्रदेश पांच अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का काम पूरा हो गया है, अयोध्या में कार्य जारी है और जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास शीघ्र हो चुका है। लखनऊ व वाराणसी में पहले से ही दो अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट संचालित हैं। लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, चित्रकूट, कानपुर, आगरा, अयोध्या, सहारनपुर, गाजियाबाद, ललितपुर, झांसी, बरेली, मेरठ, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, कुशीनगर आदि राष्ट्रीय हवाई कनेक्टिविटी में आ गये हैं। अगले दो-तीन वर्षों में राज्य में 20 और एयरपोर्ट तैयार हो जायेंगे। वर्तमान में यूपी में प्रतिदिन 63 उड़ानें उपलब्ध हैं।

लखनऊ, गाजियाबाद और नोएडा में मेट्रो रेल संचालित है। मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज में भी मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने की दिशा में कार्य चल रहा है। कानपुर और आगरा में मेट्रो रेल परियोजना को मंज़ूरी मिलने से उत्तर प्रदेश सर्वाधिक शहरों में मेट्रो रेल चलाने वाला देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।

राज्य में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए इन्वेस्टर्स सम्मिट में रुपये 4.68 लाख करोड़ के एमओयू से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डालर की ओर अग्रसर है।

प्रदेश में अभी तक रूपये 3 लाख करोड़ से अधिक का निवेश हो चुका है। कुशल प्रशासन से ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार रूपये 10.9 लाख करोड़ से बढ़ाकर रुपये 21.73 लाख करोड़ करने में योगी सरकार को सफलता मिली है। बजट के आकार में अभूतपूर्व वृद्धि करते हुए वर्ष 2021-22 के लिए 5.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट पारित किया गया हैं। बजट में सरकार ने सभी वर्गों के हित को ध्यान में रखा है। कोविड काल में जब पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी थी, तब भी उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टमेंट फ्लो बना हुआ था।

अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, साउथ कोरिया आदि 10 देशों से उत्तर प्रदेश में 66,000 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश आया। डिफेंस कॉरिडोर में रुपये 50000 करोड़ का निवेश हो रहा है। जर्मन जूता कम्पनी von wellks ने यहां 300 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि योगी सरकार ने प्रदेश में क्विक इन्वेस्टमेंट प्रमोशन नीति लाकर निवेश प्रक्रिया को सरल, पारद व आकर्षक बनाया है। निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से उद्यमियों की समस्याओं का समयबद्ध तरीके से निस्तारण सुनिश्चित किया गया है। परिणामस्वरूप ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस में यूपी 14वें स्थान से अब दूसरे स्थान पर आ गया है।

हिन्दुस्तान, सैमसंग, ब्रिटानिया, एबी माउरी यूके, डिक्शन टेक्नोलॉजीज, सूर्या ग्लोबल फ्लेक्सी फिल्म्स, अकाग्राटा इंक ऑफ कनाडा, एडिसन मोटर्स साऊथ कोरिया और याजिकी जापान यहां निवेश करने जा रही हैं। फार्मा पॉलिसी, डाटा पॉलिसी, संशोधित एमएसएमई पॉलिसी और स्टार्टअप पॉलिसी ने विकास की गति को पंख लगा दिए हैं।

किसी भी उद्योग अथवा खेती-किसानी के लिए बिजली पहली जरूरत होती है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार बिना भेदभाव, बिना कटौती हर क्षेत्र एवं गांवों में शहर-समान भरपूर बिजली मिल रही है। शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कार्य किये गये हैं। साढ़े चार वर्ष में राज्य को 08 नये राजकीय विश्वविद्यालय, 77 नये राजकीय महाविद्यालय, 28 इंजीनियरिंग कॉलेज, 26 पॉलीटेक्निक,79 आईटी आई, 250 इंटर कॉलेज और 771 कस्तूरबा विद्यालयों की सौगात मिली है। आपरेशन कायाकल्प, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना और अटल आवासीय विद्यालय भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं।

 उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना, युवा उद्यमिता विकास योजना (युवा हब स्कीम), यूपी सीएम अप्रेन्टिसशिप प्रमोशन स्कीम (सीएमएपीएस), ओडीओपी स्कीम, स्किल आन व्हील्स प्रोग्राम, मिशन रोजगार और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल स्कीम से बेरोजगारों को रोजगार के भरपूर अवसर मिल रहे हैं। प्रवासी कामगारों को काम देने के लिए मुख्यमंत्री प्रवासी श्रमिक उद्यमिता विकास योजना लांच की गयी है। इन प्रयासों से रोजगार दर बढ़ी है और बेरोजगारी दर घटी है। वर्ष 2017 में प्रदेश में बेरोजगारी दर जहां 17.5 प्रतिशत थी, वहीं अब यह घटकर 4.1 प्रतिशत रह गयी है।

योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए जनहित की योजनाओं को निष्पक्ष, पारदर्शी एवं समयबद्ध ढंग से क्रियान्वित किया। इसका परिणाम यह है कि उत्तर प्रदेश आज विकास की 44 योजनाओं में देश में नंबर वन है, जो सुशासन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में विकास का नेतृत्व कर रहा है। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का अनथक परिश्रम है। उत्तर प्रदेश को ‘बीमारू राज्य से बाहर लाने के लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की और रिफॉर्म के जरिए परफॉर्म करते हुये उत्तर प्रदेश को ट्रांसफॉर्म करने के अपने मिशन में वे सफल रहे।

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( उ.  प्र.)  चुनावी  सर्वेक्षण  2022
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